दिल्ली विधानसभा के 26 और 27 सितंबर के सत्र पर बीजेपी की खास नजर है, क्योंकि यह पहली बार होगा जब आतिशी मुख्यमंत्री के रूप में सदन में होंगी और अरविंद केजरीवाल सिर्फ विधायक के तौर पर शामिल होंगे। मुख्य प्रश्न यह है कि केजरीवाल विधानसभा में कहां बैठेंगे—क्या उनके लिए अलग सीट तय की जाएगी या उनकी कुर्सी खाली रहेगी। सदन में मुख्यमंत्री की कुर्सी स्पीकर के ठीक सामने होती है, जबकि नेता विपक्ष की कुर्सी सीएम की कुर्सी के बगल में होती है।
इससे पहले आतिशी ने सीएम की कुर्सी संभालते समय कहा था कि वे इसे प्रतीकात्मक रूप से केजरीवाल के लिए खाली रख रही हैं, जैसे भरत ने राम के खड़ाऊं सिंहासन पर रखे थे।
विधानसभा सत्र में विपक्ष, खासकर भाजपा, कई मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगेगी। विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए 14 महत्वपूर्ण मुद्दे तय किए हैं, जिनमें मानसून के दौरान मौतें, जल संकट, बुजुर्गों की पेंशन, भ्रष्टाचार के आरोप, और प्रदूषण की समस्या शामिल हैं। भाजपा का कहना है कि वे दिल्ली की 2 करोड़ जनता की समस्याओं को प्रमुखता से उठाएंगे और सरकार को इन पर जवाब देने के लिए बाध्य करेंगे।
इस सत्र के दौरान विपक्ष का आक्रामक रुख देखने को मिलेगा, जबकि आतिशी की भूमिका पर सभी की नजरें टिकी होंगी।