दिल्ली नगर निगम (MCD) में स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर आगे की राह भाजपा के लिए इतनी आसान नहीं है। हाल ही में स्टैंडिंग कमेटी के छठवें सदस्य के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुंदर सिंह तंवर ने जीत हासिल की, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भाजपा अब सीधे तौर पर कमेटी पर नियंत्रण पा लेगी।
MCD के नियमों के अनुसार, स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव मेयर की अनुमति के बाद ही संभव है। फिलहाल दिल्ली की मेयर आम आदमी पार्टी (AAP) की हैं, और यह पूरी तरह से उनके ऊपर निर्भर करेगा कि वे इन चुनावों के लिए अनुमति देती हैं या नहीं। मेयर के पास इस प्रक्रिया को मंजूरी देने या रोकने का कानूनी अधिकार है।
इसके अलावा, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है, जहां AAP ने दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) पर आरोप लगाया है कि वे मेयर के अधिकारों में हस्तक्षेप कर रहे हैं। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला AAP के पक्ष में आता है, तो भाजपा के लिए स्टैंडिंग कमेटी पर नियंत्रण और मुश्किल हो सकता है।
भाजपा को कमेटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए मेयर से तारीख तय करने की मंजूरी लेनी होगी। MCD के नियमों के अनुसार, चुनाव की तारीख तय करने का पूरा प्रोसेस मेयर की अनुमति से ही संभव हो पाता है।
इस स्थिति में सवाल उठता है कि क्या दिल्ली के उपराज्यपाल फिर से अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसा कि पहले हुआ है। अगर ऐसा होता है, तो राजनीतिक गतिरोध और बढ़ सकता है।