आज दिल्ली उच्च न्यायालय में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और अन्य की याचिका पर सुनवाई होगी, जिसमें जंतर-मंतर या राष्ट्रीय राजधानी के किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगी गई है। यह मामला मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष उल्लेखित किया गया था। उस दिन तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी, लेकिन पीठ ने इसे बुधवार के लिए सूचीबद्ध किया।
सोनम वांगचुक, जो पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर लंबे समय से सक्रिय हैं, का यह प्रयास सरकार तक अपनी मांगों को पहुंचाने के लिए है। वांगचुक और उनके साथियों का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लद्दाख के नाजुक पर्यावरणीय संतुलन को बचाने के लिए कार्रवाई की मांग करना है।
याचिका में कहा गया है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण अधिकार है, और इसे उचित तरीके से अनुमति मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि दिल्ली में जंतर-मंतर जैसे स्थान पर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति न देना, उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। वहीं, दूसरी ओर, सरकार और प्रशासन का यह भी दायित्व है कि वे सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसे विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित करें।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है। क्या सोनम वांगचुक को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति मिलेगी, या उन्हें किसी वैकल्पिक स्थान पर जाने का निर्देश दिया जाएगा, यह आज की सुनवाई के बाद स्पष्ट होगा।