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दिल्ली सरकार का अहम कदम: MCD आयुक्त को वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट्स की मंजूरी देने का अधिकार

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दिल्ली सरकार ने वेस्ट मैनेजमेंट के मुद्दे को सुलझाने के लिए एक अहम कदम उठाया है। दिल्ली नगर निगम (MCD) के आयुक्त की शक्तियों को बढ़ाते हुए उन्हें म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट्स को मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है। यह निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि वर्तमान में एमसीडी की स्थायी समिति अनुपस्थित है, जो आम तौर पर 5 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की स्वीकृति देती थी।

दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 202(सी) के तहत यह व्यवस्था की गई है कि अब एमसीडी आयुक्त उपराज्यपाल की मंजूरी के साथ सीधे तौर पर वेस्ट मैनेजमेंट के कॉन्ट्रैक्ट्स पर निर्णय ले सकते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य राजधानी में वेस्ट मैनेजमेंट की जटिलताओं से निपटना और सर्दियों में बढ़ते वायु प्रदूषण के दौरान शहर को साफ-सुथरा बनाए रखना है।

इस फैसले के तहत, कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें सेंट्रल जोन में वेस्ट कलेक्शन और ट्रांसपोर्टेशन के लिए 1137.98 करोड़ रुपये की योजना, नरेला-बवाना में वेस्ट-टू-एनर्जी फैसिलिटी के लिए 604.26 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट, और 600 करोड़ रुपये से अधिक के डंपसाइट बायो-माइनिंग प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।

इस कदम के साथ, आयुक्त को वित्तीय नियमों का सख्ती से पालन करते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि, इस निर्णय से वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े प्रोजेक्ट्स को तेजी मिलेगी, लेकिन यह फैसला प्रशासनिक अधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच संघर्ष को और बढ़ा सकता है।

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