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मोहन भागवत का विजयादशमी पर संबोधन: समसामयिक मुद्दों पर विचार

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के अवसर पर अपने संबोधन में कई समसामयिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने इस्राइल-हमास युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि इस संघर्ष ने वैश्विक चिंताओं को बढ़ा दिया है, और यह आग किसे-किसे प्रभावित करेगी, इसका पूर्वानुमान लगाना कठिन है। उन्होंने इस संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय अस्थिरता का प्रतीक बताया।

भागवत ने जम्मू-कश्मीर के शांतिपूर्ण चुनावों की प्रशंसा की और कहा कि इससे भारत की प्रतिष्ठा विश्व मंच पर और बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ विदेशी शक्तियां और देश नहीं चाहते कि भारत आगे बढ़े, और वे इस विकास को रोकने के लिए कई तरह की चालें चल रहे हैं।

अपने भाषण में उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों का भी उल्लेख किया और कहा कि कट्टरपंथी ताकतें अल्पसंख्यकों पर दबाव डाल रही हैं। भागवत ने हिंदू समाज को संगठित रहने की आवश्यकता पर जोर दिया, यह कहते हुए कि बिना हिंसा के भी एकजुट रहना जरूरी है ताकि समाज कमजोर न हो।

उन्होंने बांग्लादेश में भारत के खिलाफ चल रही अफवाहों पर भी चिंता व्यक्त की, जिनमें पाकिस्तान के साथ गठजोड़ करने की बातें की जा रही हैं। उन्होंने इसे उन ताकतों का षड्यंत्र बताया जो भारत की प्रगति को रोकना चाहती हैं। भागवत का मानना है कि भारत के विकास से कई देशों के स्वार्थ प्रभावित हो रहे हैं और यह उनके हितों के खिलाफ है।

आरजी कर अस्पताल की घटना पर टिप्पणी करते हुए भागवत ने इसे समाज के लिए शर्मनाक बताया और कहा कि ऐसी घटनाएं हमारे समाज को कलंकित करती हैं। उन्होंने सभी से सतर्क रहने और समाज में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सावधान रहने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने पर्व-त्योहारों को मिलकर मनाने की अपील की, जिससे समाज में विभाजन न हो।

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