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Ravi Dahiya के घर पर है जश्न का माहौल…जानें क्या बोले मेडल विजेता के पिता

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भारत के पहलवान रवि कुमार दहिया ने तोक्यो ओलिंपिक में कुश्ती के पुरुष फ्रीस्टाइल 57 किग्रा भार वर्ग के सेमीफाइनल मुकाबले में कजाखस्तान के नूरइस्लाम सानायेव को हराकर फाइनल में प्रवेश करने के साथ ही भारत के लिए एक और पदक पक्का कर लिया है। रवि ने सेमीफाइनल मुकाबले में नूरइस्लाम को विक्ट्री बाई फॉल के माध्यम से 7-9 से हराया।

पहलवान रवि दहिया को अगर एक या दो शब्दों में बयां करने के लिए कहा जाए तो ‘शांत तूफान’ इसमें फिट बैठेगा। वह जीत या हार के लिए कोई भावनाएं व्यक्त नहीं करते, कभी कभी तो संदेह होने लगता है कि उनमें कोई भावना है भी या नहीं। जी हाँ हम बात कर रहे है नाहरी गांव के सोनीपत हरियाणा से किसान के पुत्र रवि दहिया के बारे में रवि दहिया ने टोक्यो ओलंपिक फाइनल में पहुंचकर भारत के लिये पदक पक्का कर लिया है इस खुशखबरी को सुनने के बाद उनके गांव में जश्न का माहौल बन गया है बता दें कि रवि बुधवार को ओलंपिक खेलों के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बन गए है । उन्होंने 57 किग्रा भार वर्ग के सेमीफाइनल में कजाखस्तान के नूरिस्लाम सनायेव को हरा कर अपनी जगह बनाई है।

 

 

रवि का हौसला बढ़ाने के लिए मनाया जश्न  

नाहरी गांव में उनके परिजन और रिश्तेदारों ने रवि का हौसला बढ़ाने के लिए पूरे गांव में जश्न मनाया । रवि के पिता राकेश की खुशी का ठिकाना नहीं रहा । उन्होंने कहा, ‘‘रवि स्वर्ण पदक जीतेगा। मुझे पूरा विश्वास है। मैं अपनी खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकता।’’

सुशील कुमार फाइनल में पहुंचने वाले एकमात्र पहलवान

रवि से पहले सुशील कुमार फाइनल में पहुंचने वाले एकमात्र पहलवान थे। सुशील कुमार ने ओलंपिक में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था और अब पूरे नहरी गांव को रवि दहिया से उम्मीद है कि इस बार रवि ही भारत का कुश्ती ओलिंपिक विजेता बनेगा। अब रवि 5 अगस्त यानी आज ROC के जावुर युगुएव के खिलाफ फाइनल मैच खेलेंगे।

आज है रवि दहिया का फ़ाइनल मैच

आपको बता दें कि आज रवि दहिया का फ़ाइनल मैच है और उसी की जीत के लिए रवि दहिया के पिता अपने घर से अपना ट्रैक्टर लेकर उस आखाड़े की तरफ निकले जिस अखाड़े में रवि बचपन में कुश्ती का अभ्यास करते थे । जश्न की ख़ुशी में रवि के पिता अपने साथ घेवर और केले का प्रसाद लेकर पहुंचे उन्होंने सबसे पहले अखाड़े की मिटटी को नमन किया और उसके बाद रवि के उनके बचपन के गुरु हँसे पहलवान से आशीर्वाद लिया और जो बच्चे वहां अभ्यास कर रहे थे उन बच्चों में घेवर और केले का प्रसाद वितरित किया।

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