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सीएम केजरीवाल की न्यायिक हिरासत बढ़ी, ईडी का दावा- केजरीवाल ने मांगी थी 100 करोड़ की रिश्वत

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दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग केस में बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय अरविंद केजरीवाल की ओर से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगे जाने का दावा किया।

रॉउस एवेन्यू कोर्ट द्वारा सीएम केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 3 जुलाई तक बढ़ा दी गई है। वहीं केजरीवाल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए जांच एजेंसी ने यह भी स्पष्ट किया कि रिश्वत के आरोप केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की तरफ से लगाए गए थे। ईडी ने अदालत को बताया कि केजरीवाल ने आप पार्टी के लिए साउथ ग्रुप से रिश्वत की मांग की। अगर आम आदमी पार्टी को मामले में आरोपी बनाया गया है तो पार्टी के प्रभारी व्यक्ति को दोषी ठहराया जाएगा। ईडी ने अदालत को बताया कि जब इस मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी बनाया गया था, तो उस वक्त आम आदमी पार्टी को आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया था।

बता दें सुनवाई के दौरान अरविंद केजरीवाल कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पेश हुए।

प्रवर्तन निदेशालय ने आप नेता के खिलाफ कई आरोप लगाए और कहा कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि उन्होंने 100 करोड़ रुपए के रिश्वत मांगी थी। सॉलिसिटर जनरल राजू ने कहा कि सीबीआई जांच से पता चलता है कि केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी।

एएसजी राजू ने कहा, हमने गिरफ्तारी से पहले ही सबूत जुटाए थे। वे गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाते हुए कह रहे हैं कि जुलाई 2023 के बाद उनके खिलाफ कुछ नहीं है।

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नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) का कड़ा एक्शन: दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता के चलते निर्माण स्थलों पर 15 लाख रुपये का जुर्माना

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नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) ने दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता के चलते कड़ा एक्शन लिया है। शहर में लगातार बिगड़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के बीच, NDMC ने निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया और धूल नियंत्रण उपायों के उल्लंघन पर 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के हाई-प्रोफाइल इलाकों में चल रही सरकारी परियोजनाओं में प्रदूषण मानदंडों का उल्लंघन पाया गया है। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब होने के कारण, मंगलवार को ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का फेज-1 लागू किया गया था।

NDMC ने बयान में बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के दिशा-निर्देशों के तहत धूल नियंत्रण उपायों की अनदेखी करने वाले निर्माण स्थलों पर 30 चालान जारी किए गए हैं, प्रत्येक पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिससे कुल 15 लाख रुपये की राशि बनती है।

सरोजिनी नगर, नेताजी नगर और नौरोजी नगर में चल रही जनरल पूल आवासीय आवास (GPRA) परियोजनाओं समेत, लेडी हार्डिंग अस्पताल और कर्नाटक भवन परिसरों में भी धूल नियंत्रण के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन पाया गया। NDMC ने कुल 30 उल्लंघनकर्ताओं की पहचान की है और उन पर कार्रवाई की है।

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दिवाली के करीब आते ही दिल्ली के सदर बाजार में भारी भीड़, भगदड़ जैसे हालात

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New Delhi, Oct 21 (ANI): People buy decorative items at Sadar Bazaar ahead of the Diwali festival, in New Delhi on Friday. (ANI Photo)

जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आ रही है, बाजारों में खरीदारी के लिए भीड़ बढ़ती जा रही है। इसी भीड़ का नजारा दिल्ली के सदर बाजार में भी देखने को मिला, जहां हालात भगदड़ जैसे हो गए। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि लोग बाजार में धक्का-मुक्की कर रहे हैं और जगह पाने की कोशिश कर रहे हैं।

लोग सिर पर सामान रखकर किसी तरह भीड़ से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सड़क पर रेहड़ी-पटरी वालों ने जगह और तंग कर दी है। इस कारण से आने-जाने का रास्ता बेहद संकरा हो गया है।

पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए विशेष टीमें तैनात कर दी हैं, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो और कानून-व्यवस्था बनी रहे। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, त्योहारों के समय सदर बाजार में अक्सर ऐसी भीड़ देखी जाती है। जल्द ही भीड़ प्रबंधन के लिए जिला मजिस्ट्रेट, मार्केट एसोसिएशन और एमसीडी के साथ बैठक की जाएगी।

अधिकारी ने यह भी बताया कि भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि जाम की स्थिति से बचा जा सके और भीड़ नियंत्रित हो सके। हालांकि, दिल्ली नगर निगम की ओर से अतिक्रमण हटाने पर कोई तुरंत प्रतिक्रिया नहीं आई है।

सदर बाजार के मार्केट एसोसिएशन ने बताया कि वह बेहतर प्रबंधन के लिए दिल्ली पुलिस को पत्र लिखने की योजना बना रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसे हालात से निपटा जा सके।

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सुप्रीम कोर्ट में न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और समानता की दिशा में नए बदलाव

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सुप्रीम कोर्ट और न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में कई महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं, जिसका नेतृत्व प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे हैं। इस नए दौर का एक प्रमुख प्रतीक “न्याय की देवी” की प्रतिमा में बदलाव के रूप में देखा जा सकता है। अब न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटा दी गई है और उसके हाथ में संविधान को दर्शाती एक पुस्तक है, जो यह संकेत देती है कि न्याय अब अंधा नहीं है, बल्कि साक्षात्, स्पष्ट और समानता पर आधारित है।

इस बदलाव का एक और उदाहरण सुप्रीम कोर्ट के बाहर तिलक मार्ग पर लगी एक बड़ी वीडियो वॉल है, जिसे ‘जस्टिस क्लॉक’ कहा जा रहा है। यह हर समय सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमों की रियल-टाइम जानकारी प्रदान करती है। यह एक बड़ा कदम है जिससे जनता को न्याय प्रक्रिया की गति और पारदर्शिता के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी।

इस नई सोच का उद्देश्य है कि न्याय सिर्फ नियमों और कानूनों के अनुसार ही न हो, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय की पहुंच समान हो। न्याय की देवी के हाथ से तलवार हटा दी गई है, जो यह प्रतीक है कि न्याय की शक्ति अब संविधान और विवेक पर आधारित होगी, न कि किसी प्रकार की दंडात्मक शक्ति पर।

सुप्रीम कोर्ट का यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि न्याय का मतलब सिर्फ कानूनी फैसलों तक सीमित न रहे, बल्कि यह भी हो कि हर व्यक्ति को समान रूप से सुना जाए और उसके अधिकारों की रक्षा हो।

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